Friday, November 28, 2008

बस दरकरार है तो घर से बाहर

भारतीय क्रिकेट टीम इस समय पूरे शबाब पर है। हर खिलाडी बेहतरीन परफार्मेंस के लिए उतावला नजर आ रहा है। लेकिन खिलाड़ियों ने ऐसा प्रदर्शन अब ही नही किया है। पहले भी पुराने खिलाडी ऐसा कर चुके हैं। चाहे १९८३ की कपिल देव की टीम हो , चाहे मोहम्मद अजहर की टीम जिसने एक साल में चार - पाँच खिताब कब्जाए या गांगुली के नेत्रित्व वाली २००० की टीम सभी ने एक समय में बढ़िया प्रदर्शन किया, और पूरे उफान पर आकर विदेशी टीम को रौंदा । लेकिन उन टीमो का ये प्रदर्शन ज्यादा टिकाऊ नही रहा।

धोनी के नेत्रित्व वाली भारतीय टीम अपने जीत के सुहाने सफर को कहाँ तक जारी रखती है, यह देखना काबिलेगौर होगा। क्योंकि ये जीत अभी हमें घरेलू सीरीज या इस उपमहाद्वीप की पिचों पर मिल रही है। और ये जीत अगर विदेशी तेज पिचों पर आए तो तब इस जीत के कई मायने होंगे ।पिछले वर्ल्ड कप की नाकामी के बाद टीम इंडिया ने अपने खेल में जबरदस्त सुधार किया है। इस समय हमारे पास तेज बालरों का समूह है , आक्रामक बैट्समैन , चुस्त फिल्डर और मैदान में रोमांच पैदा करने वाले जोशे खरोश वाले खिलाडी और एक बढ़िया कूल कप्तान । बस जरुरत है , तो इस सफर को विदेशी पिचों तक जारी रखने का। क्योंकि वहीँ आपकी काबिलियत की परीक्षा होती है। जहाँ आपके मन माफिक दर्शक नहीं होते हैं, मनमाफिक पिचें नहीं होती है। और तेज पिचों पर पड़ने के बाद गेंद जब कानो के करीब से सनसनाहट पैदा करके निकल जाती है , तो तब परफार्म करना अपने आप में बहुत बड़ी बात हो जाती है। इस कन्डीशन में तब ऐसी जीत के मायने टीम इंडिया के कद को बढ़ा सकते हैं।