हर बरस शहीदी दिवस पर याद आते हैं वो वीर
जाने कहाँ किस पथ पर चले जाते हैं वो वीर
जाने कहाँ किस पथ पर चले जाते हैं वो वीर
ढेरों शौर्य गाथाओं में याद आते हैं वो वीर
शौर्य, समर्पण ,देशभक्ति के जज्बे से लबरेज
जब भी याद रुला जाते हैं वो वीर
हर बरस शहीदी दिवस पर याद आते हैं वो वीर
क्या न सहा कितने कष्ट उठाये पर मुहं से उफ़ तक न निकली
चौड़ी छातियों ने कितनी गोलियां बारूद झेले
पर मेरी माँ भारती के शीश को झुकने न दिया उन वीरों ने
हमारी यादों में बसते हैं वो वीर
हर बरस शहीदी दिवस पर याद आते हैं वो वीर
उनकी वीरता में वो चमक है वो प्रेरणा
है
तन का रोआँ रोआँ जागृत कर जाते हैं वो वीर
उन शहीदों की माँओं ने कितने जतन से सहेजा था उनको
शायद इन्हीं अदम्य शौर्य पराक्रम साहस के लिए
गौरवान्वित हैं आँखें नम हैं सबको रुला गए वो वीर
हर बरस शहीदी दिवस पर याद आते हैं वो वीर