Friday, August 15, 2008

ज्ञान की खोज
( अन्तिम छोर ------ --------? सायद नहीं )

ज्ञान की महिमा अपरम्पार है यह हमारे पुरानो में लिखा गया है। लेकिन ये कहाँ जाकर खत्म होगा
----- सायद पता नहीं। ज्ञान एक ऐसी डिक्सनरी है; जिसमें शब्दकोश जुड़ते ही जाते हैं। आदम युग
से अब तक कई आविस्कर हुए और उनसे हर बार एक नया ज्ञान निकल कर आया। और आज हम लोग चाँद
एटम बम और कंप्यूटर युग तक पहुंच गए। फिर भी हमारी ये ज्ञान प्राप्ति की खोज अपने अन्तिम निष्कर्ष
तक नहीं पहुंच पाई। प्रारम्भ से मानव प्रकृति जिज्ञासु रही है ज्ञान की खोज मैं। और हमारे इसी ज्ञान
की जिज्ञाषा ने हमें पूरे ब्रह्मांड में रहने वाले अन्य जीवों से कोसों आगे पहुंचा दिया है.
आज के समय की बात करें तो कोई व्यक्ति विशेष ये नहीं कह सकता है की मैं दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूँ। मैं कहूँगा वो ही इस दुनिया का सबसे मुर्ख इंसान है, क्योंकि ब्रह्मांड मैं इतना ज्ञान भरा
पडा है की हमारी कई करोडों पीडी यां भी खोजती रहे तो भी हम उस के अन्तिम छोर तक नहीं पहुंच पाएंगे। हमें
तो
अभी उस ज्ञान के भंडार का बाल्टी भर पानी जितना हिस्सा प्राप्त हुआ है। आधुनिकरण के इस दौर मैं ज्ञान के
भंडार को देखते हुई इसे छेत्र विसेस मैं बाँट दिया गया है। जैसे डाक्टर, इंजिनियर विज्ञानिक -----इन सबका अपना
अपना छेत्र होता है। फिर इनके अंदर भी कई छेत्र हैं। मतलब ज्ञान की खोज मैं एक व्यक्ति विसेस नहीं है. पूरे वर्ल्ड
के लोग इसकी खोज मैं अपने-अपने फिल्ड मैं कार्यरत हैं। कोई किसी को चैलेन्ज नहीं कर सकता है.एक बच्चा भी किसी
किसी बुजुर्ग को ज्ञान दे सकता है। ज्ञान की महिमा इतनी निराली है की आप हर किसी से कोई न कोई ज्ञान ले भी सकते हो और
वो भी आप से कुछ न कुछ लेके ही जाएगा। ये भंडार है ही ऐसा जितना बाँटोगे उसका दुगना ही प्राप्त करोगे.इसमें इन्वेस्ट
करोगे तो कभी घाटे में नहीं रहोगे.
रामायण मैं जब रावन अपनी अन्तिम सांसे गिन रहा था तो भगवान राम ने लक्ष्मण जी को कहा था की जाओ भाई ; रावन जैसे महाज्ञानी से कुछ ज्ञान प्राप्त करो।
कहने का मतलब ये है की आप को अगर एक बुरे आदमी की संगत भी मिल जाए तो भी आप उसके बुरे
विचारों को छोड़ जो अच्छी बातें उसमें है उसको प्राप्त करो। ज्ञान को लेते समय सकारात्मकता का परिचय हमेशा रखना चाहिए.बुरा ज्ञान छन भर का होता है। और एक अच्छा ज्ञान हमेसा फलता फूलता ही है। क्योंकि यह लोक कल्याण के लिए बनता है। हमें एकअच्छे ज्ञान की और हमेशा अग्रसर रहना चाहिए।

''क्योंकि भला ज्ञान निर्विवाद रूप से उतम होता है''
उफ़ ये क्या हो गया----------
(मिशन बीजिंग ओलंपिक---------? ख्वाब अधूरा रह गया--------------)

वर्षों की मेहनत चंद मिनटों में जार-जार हो गई । तोड़ के रख दिया, कोई सुनने वाला नहीं दिल में एक टीसबनकर रह गई । अरबों लोगों के विश्वास का बोझ जो चंद पलों में विस्वासघात बन गया . हीरो से खलनायक बन गये । यही कहानी है------- हमारे उन खिलाड़ियों की जो बड़ी आशा लेकर बीजिंग ओलंपिक गए थे। जनता और मिडिया आरोप- प्रत्यारोप करते नहीं थक रहे हैं। लोग ये भूल रहे हैं की वो भी आप जैसे इंसान हैं।
एक हारे खिलाड़ी का दर्द यूँ बयाँ होता है---------- ड्रेसिंग रूम सुनसान; हर चीज दुश्मन नजर आती है। आसुओं की धार बह रही है दिलासा देने वाला कोई नहीं, अपना दर्द किससे बयान करें, खाना पीना सब बंद, अपना गुस्सा सामने रखी चीजों पर निकल रहे हैं, खेल से नफरत होने लगती है, कदम लड़खडाने लगाते हैं, खिलाड़ी इस मौके पर पागलों की तरह हरकतें करने लगता है.
यह खेल चीज ही ऐसी है;इसमे आपको अपने प्रदर्शन पर तो ध्यान देना होता है. साथ मैं विपक्ष भी होता है। तो साथ मैं जनता के विश्वासों का भी बोझ होता है। इसमें जिसने धेर्य को बनाये रखा और जीत प्राप्त की वो सिकन्दर और हारे हुई खिलाड़ी आलोचना का शिकार बनते हैं। हारे हुए खिलाड़ियों की वो सब बातें याद रखी जाती है; जो खेल से पहले घटित होती है। और फिर देखिये मीडिया का तमाशा हर चीज खोल खोलकर रख देते हैं। अगर खिलाड़ २७ - २८ पर कर गया तो उसे बुजुर्ग खिलाड़ी का तमगा दे दिया जाता है। फिर फिटनेस से लेकर तमाम तरह के आरोपों - प्रत्यारोपों की झडी लगा दे देते हैं। लेकिन वो ये भूल जाते हैं की खिलाड़ी कभी बुजुर्ग नहीं होता है। हाँ प्रदर्शन जवान या बुजुर्ग हो सकता है। खिलाड़ी भी तो इंसान है वो कोई भगवान तो है नहीं की गोल्ड बोले तो गोल्ड ही जीत कर लायेंगे ।
इस देश में सब नेताओं सी बातें करते हैं। लोग ख़ुद क्यों नहीं मैदाने में आते हैं। ओलंपिक तक पहुचने की राह इतनी आसन नहीं है। कई मापदंड तय करने पड़ते हैं, तब जाकर यह सपना साकार होता है। ओलंपिक में विश्वः के देशों के साथ अपने झंडे के नीचे फ्लैग मार्च करना यह भी एक सपने सरीखा होता है।
तभी तो कहा गया है की---------

'' खेल मैं हार -जीत तो होती रहती है, लेकिन उसमें भाग लेना यह सबसे बडी जीत है ''