आदम खोर बाघों ,गुलदारों का कुशल शिकारी ---- जिम एडवर्ड कार्बेट
( उदय सिंह रावत )
जिम एडवर्ड कार्बेट को जिम एडवर्ड कार्बेट या कारपिट साहब के नाम से भी जाना जाता है । इन्हें कुमाओं एवम गढ़वाल में आदमखोर बाघ एवम गुलदारों के सिकारी के रुप में प्रसिधी मिली थी। इनका जन्म २५ जुलाई १८७५ को नैनीताल में पिता क्रिस्टोफर कार्बेट माता मेरी जैम के घर में हुआ था। इनके पिता नैनीताल में पोस्टमास्टर थे। इनकी एजूकेशन फिलान्दर्ष स्मिथ कॉलेज नैनीताल में मेट्रिक तक हुई । कार्बेट का ग्रीष्मकालीन आवास - गर्नी हाउस नैनीताल और शीतकालीन आवास -कालाढूंगी था। जिम कार्बेट ने बिहार के मोकामा घाट में रेलवे विभाग में लकडी के आपूर्ति हेतु युल इंसपेक्टर की नौकरी की । फ़िर सहायक इंसपेक्टर मास्टर ,स्टोर कीपर ,एवं श्रमिक ठेकेदारी की । १९१४ में कुमाओं से ५०० श्रमिक फ्रांस ले गए । १९२० में रेलवे से त्याग पत्र दिया । १९२० से १९४४ तक नैनीताल नगरपालिका सदस्य भी रहे । १९४४ में ले ० कर्नल के रूप में सैनिकों के जंगल युद्ध के प्रशिक्षक रहे । जिम कार्बेट को तत्कालीन सरकार के द्बारा ''केसर ऐ हिंद'' की उपाधि से समानित किया गया । सिकारी के रूप में जिम कार्बेट ने दस वर्ष की उमर में गुलदार को मारा । '' पवल गढ़ का राजकुमार '' नामक शेर का १९३४ -३५ में सिकार करने के बाद केवल आदमखोर शेरो एवं गुलदारों को ही मारा । १९१८-१९२६ तक आठ वर्षों तक रुद्रप्रयाग के आदम खोर गुलदार जिसने रुद्रप्रयाग के आस-पास के १२५ लोगों को खा लिया था उससे मुक्ति दिलाने हेतु गुलाबराय में उसका सिकार किया था ।
जिम कार्बेट द्वारा लिखित पुस्तक -------- (१) मेंन ईटर्स ऑफ़ कुमायूं (१९४५), (२) मेंन ईटिंग लेंमपर्द ऑफ़ रुद्रप्रयाग , (३) माय इंडिया ,(४)जंगल लोर ,(५) टेम्पल टाइगर (६) ट्री टोप्स ।
इसके अलावा जिम कार्बेट ने भारत अफ्रीका के वनय जीवों पर एक फ़िल्म भी बनाई जो लन्दन के नेचुरल हिस्ट्री मु जियम में रखी गई है। एक कुशल सिकारी के साथ -साथ इन्हें वन्य जीव संरखछन के छेत्र में भी जाना जाता है । इनकी पुस्तक ''मेंन इटर्स ऑफ़ कुमायूं'' ने इन्हें विश्व विख्यात बना दिया । कुमायूं छेत्र में इन्हें विशेस रूप से जाना जाता है । १९ अप्रैल १९५५ को केन्या में दिल का दौरा पड़ने से इनका निधन हो गया । कार्बेट नेशनल की सीमा निर्धारण में उलेखनीय योगदान देने के कारण इस पार्क का नाम इनके मरने के बाद इनके नाम से इसे प्रशिधि प्राप्त हुई । जिम कार्बेट तुम हमेशा हमें याद आते रहोगे चाहे एक सिकारी के रूप में तुम्हारे दिए योगदान का जिक्र हो या एक वन्य जीब प्रेमी हर रूप में तुम याद आओगे ।