Thursday, August 21, 2008

खिलाड़ी पदक और एक कदम का फासला
कुछ खिलाड़ी जिनके पावं पदक से एक कदम पहले आकर फिसल गए। ये बड़ा निराशाजनक रहा । नहीं तो हमारे पदक जितने का क्रम शायद कुछ और होता। सायना नेहवाल (बैड़मिंटन),लिएंडर पेस और महेश भूपति (टेनिस ),अखिल कुमार और जितेंदर (मुकेबाजी) ,योगेश्वर दत (कुश्ती) ये सारे खिलाड़ी पदक से एक कदम पहले यानि क्वार्टर फाइनल मुकाबलों में हारे हैं । इनके हौसले की दाद देनी होगी ,ये लडे और यूँ कहें बहादुरी से लडे । ये शान से हारे कोई गम नहीं । क्योंकि ओलंपिक में होता ही ऐसा है । यहाँ पर आप को नाक आउट मुकाबले खेलने होते हैं । रिटेक करने का चांस ही नहीं होता है । एक गलती की और पदक आपके हाथ से फिसला ।
राज्यवर्धन राठोड जो की पिछले ओलंपिक में रजत पदक जीतकर लाये थे । लेकिन इस ओलंपिक में कुछ चंद घंटों के खराब फार्म ने चार साल की मेहनत बेकार कर दी ।
यही है एक पदक विजेता और हारे हुए खिलाड़ी का अन्तर ध्यान भंग हुआ नहीं की पदक आप के हाथ से फिसला नहीं। फ़िर चाहे कई वर्ष की मेहनत हो या एक दिन की सब बेमजा हो जाती है।
वहीँ अभिनव बिंद्रा के पदक जितने के सिलसिले में एक और भारतीय सुशिल कुमार जिन्होंने कुस्ती में कांसे का पदक जीता है, जुड़ गए हैं। इतिहास में पहली बार भारत दो पदकों के साथ खडा है। वहीँ तीसरा पदक भी तय हो गया है। मुकेबाज़ विजेंदर भी सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं।
''शाबास मेरे शेरो ''
क्वार्टर फाइनल में हारे हुए खिलाड़ियों को भी सरकार अगर कुछ इनामी राशिः प्रदान करे तो इससे इन हारे हुए खिलाड़ियों का भी उत्साह बढेगा । और वे भी अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित होंगे । अखिल कुमार ने ठीक ही कहा था की '' में स्वर्ण जीतकर लाऊँगा मेरे इन शब्दों को याद रखना और अगर मुझसे कोई खता हो गई (हार गया ) तो मुझे भूल न जाना '' । तो हमें भी इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को भूलना नहीं चाहिए , जिन्होंने भारतीयों के जज्बे और होसले का प्रदर्शन कर दर्शकों की तालियाँ बटोरी। एक खराब प्रदर्शन से भारतीय जनता को इनकी आलोचना करने का हक नहीं है । बल्कि वक्त है इनके वर्षों की मेहनत जो की कुछ पलों में बेकार गई , उनके इस गम को कुछ कम करने के लिए इन्हें गले लगाने का और उनका वीरों जैसा स्वागत करने का । नहीं तो हमारे देश में होता यह है की जीते तो कंधे पर चढा देते हैं । और हारे तो दुत्कार मिलती है। पर आशा है की शायद ---------------- इस बार हम वो काम न करें । जिनसे खिलाड़ियों का दिल टूटता है।