Thursday, February 19, 2009

जय हो जय हो सलमडाग्स--------------------

" स्लमडाग मिलेनियर" एक चर्चित फ़िल्म जो पूरे वर्ल्ड में धमाल कर रही है। इस फ़िल्म की स्टोरी एक ऐसे सख्स पर केंद्रित है। जो मुंबई की झुग्गी झोपडियों में पला बढ़ा। और एक दिन वह टीवी के मशहूर गेम शो "कौन बनेगा करोड़पति" में दो करोड़ की इनामी राशी जीत लेता है। काल सेंटर में चाय देने वाला यह सख्स न तो किसी बड़े स्कूल से पढ़ा - लिखा होता है। बस उसके पास होता है तो सिर्फ़ प्रक्टिकली नालेज । इस कारनामे को अंजाम तक पहुचाने वाला सख्स का नाम "जमाल" है। यह एक सच्ची घटना पर आधारित फ़िल्म है।
ये फ़िल्म उन लोगों को एक आईने की तरह है ; जो सड़कों पर भीख मांगते , कूदों के ढेर बीनते, होटलों रेस्तरां में बर्तन धोते बच्चों को घ्रिनीत दृष्ठि से देखते हैं । गाली गलौच और मारपीट करते हैं।
आख़िर वो भी तो इंसान हैं। फ़िर अपनों और उनमे इतना फर्क क्यों करते हैं। देश के हर कोने में ऐसे मासूम दिखाई पड़ेंगे। जिनमे प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस उन्हें जरुरत होती है तो तराशने की अगर ऐसे लोगों को तराशा जाए तो कई "जमाल" पैदा होंगे।
आख़िर में एक बार फ़िर "स्लम डाग्स मिलेनियर" जिसने प्रतिष्टित गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीता है। संगीतकार ए० आर० रहमान को भी संगीत के गोल्डन ग्लोब अवार्ड से नवाजा गया है।और अब आस्कर की दौड़ में है। और इस फ़िल्म को आस्कर अवार्ड मिलेगा इसमे कोई शक नहीं है। क्योंकि पिक्चर ही इतने करीने से पेश की गयी है।

तो कम आन सलाम डाग्स -------------------
एक और -------------------------


हमारे देश में भी अजीबोगरीब खेल चलते रहते हैं।नामी-गिरामी लोग ऐसे खेलों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। शायद उनके बीच होड़ सी मची रहती है , सुर्खियों में बने रहने की। और एक ऐसा ही नाटकीय घटनाक्रम पिछले एक दो महीनो से जारी है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन ( पूर्व उप मुख्यमंत्री ) जिनके तीन किसोरवय बच्चे हैं। और पूर्व विधि अधिकारी अनुराधा बलि १७ दिसम्बर को इस्लाम धर्म कबूल करके चाँदमोहम्मद और फिजा बन गए और शादी कर ली।लेकिन इस कहानी का सुखद अंत यहीं पर नहीं था बल्की कहानी आगे बढ़ती है। और चाँद मोहम्मद ; फिजा को छोड़कर फ़िर से अपनी पूर्व पत्नी सीमा के साथ हो लिए हैं। और अब अनुराधा बाली उर्फ़ फिजा न्याय की गुहार लगा रही है।
फ़िर से एक शादीशुदा राजनेता और उसके द्वारा सताई गई एक और महिला। एक और उत्पीडन।ऐसी न जाने कितनी मासूम अबलाओं को राजनेताओं ने अपनी पैसे की चमक और रुतबे की धमक से बहलाया और फुसलाया। और फ़िर मझधार में छोड़ दिया। शायद फ़िर वही कहानियाँ दोहराई जायेंगी। न्यायालयों में गुहार पे गुहार, सालों खेल चलेंगे। और ये चंद्रमोहन उर्फ़ चाँद मोहम्मद जैसे लोग मौजा ही मौजा लुटते रहेंगे। और जनता जनार्दन सिर्फ़ और सिर्फ़ ऐसी कहानियों को चटखारे - पत्त्खारे के साथ मजे ले कर पढ़ती और सुनती रहेंगी।