Thursday, October 9, 2008

व्यंग्य

(बाबू जी की बाबूगीरी )

आज देश में हलचल ज्यादा है। हर तरफ़ भागमदौड़ है। पर अपने बाबू साहेब तो ऐसे हैं की उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। उनकी तो मौजा ही मौजा है। देश के हर सरकारी दफ्तर में लोग उनसे मिलने यूँ आते हैं ; जैसे किसी मन्दिर में अपनी मन्नत के लिए चढावा देने आते हैं। उनकी अदाओं के आगे तो बड़ी-बड़ी हीरोइने भी फेल समझो। पुरानी पिक्चरों के गाने तो देखो । कई पिक्चरों के गानों में 'बाबू' शब्द ढूँढोगे तो जरुर मिल जायेगा। क्योंकि डायरेक्टर को पता होता था की 'बाबू' शब्द में कितना झोल है। आज के डायरेक्टर तो नालायक ठहरे । 'गांधीगीरी' बना डाली। पर एक 'बाबूगीरी ' नहीं बना पाए। कोई भी सरकारी काम हो हर फाइल उनकी टेबल से होकर गुजरती है। और बगैर उनके औटोग्राफ के आगे चली जाए , तौबा - तौबा । हर बड़ा आदमी ,हर पढ़ा-लिखा और हर गरीब उनके आशीर्वाद के बिना कैसे सफल हो सकता है। इसके महत्व को सब जानते हैं। तभी तो सब मत्था टेक कर और गुरुद्क्शीना दिए बिना आगे नहीं बढ़ते। जिसने चू - चपड की नहीं की उसका बेडा गर्क समझो । ये दूसरी दुनिया के लोग होते हैं , इनके आगे तो समझो किसी का वश नहीं। इनकी कारीगीरी का तोड़ तो शायद है ही नहीं है। हर्षद मेहता ,अब्दुल करीम तेलगी जैसे दिग्गज फेल हो गए , पर इनको कोई फेल नहीं कर पाया। जनता इनसे मिलने आती है तो 'बाबू' के साथ 'जी' लगाना नहीं भूलती है। क्योंकि 'बाबू' के साथ 'जी' लगाने से इसका वजन बढ़ता है। जनता को पता है की , अपने पिताजी के साथ जी लगाओ न लगाओ पर 'बाबूजी ' के साथ 'जी' लगाओ तो वे बड़े गौरवान्वित हो जाते हैं ।बाबू साहेब का सीना चौडा हो जाता है। अमेरिका के टावर गिरे या बम धमाके हो जाए या देश के शेयर लोट- पोत हो जाए पर अपने बाबू मोशाय तो ऐसे हैं की इनका शेयर मार्केट तो कभी गिरता ही नहीं वो तो चढ़ता ही रहता है।

सरकार के पास तो काम - वाम है नहीं एक फालतू का कानून 'सूचना का अधिकार ' बना डाला । दफ्तरों में कम्पूटर लगा दिए। बस फ़िर क्या बाबू साहेब आजकल थोड़ा चिंता में घिरे रहते हैं। उन्हें तो अपने आगे कूड़ा नजर आता है। उन्हें भविष्य की चिंता होने लगी है। क्या होगा हमारी भावी पीढी का, वो हमारी तरह मौजा ही मौजा में रहेंगे या नहीं। खैर ताजा समाचार यही है की वो भी अपने विरोधियों को पटखनी देने के वास्ते रिसर्च में जुट गए हैं। और उन्होंने एलान भी कर दिया है की हम गांगुली जी तरह इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं हैं। वो इस सीरिज के बाद खेल या न खेले हम तो खेलते रहेंगे । जब तक जनता जनार्दन हमें समर्थन देती रहे।