Thursday, October 2, 2008

"बेचारा ---उत्तराखंड क्रिकेट "

आज अधिकांश राज्यों की क्रिकेट टीमे रणजी ट्राफी क्रिकेट में प्रतिनिधित्व कर रही है । ऐसे में उत्तराखंड राज्य की रणजी ट्राफी टीम का न होना राज्य के खेल प्रेमियों को हमेशा कचोटता रहता होगा। बी जे पी सरकार बड़े बड़े दावे करती है की राज्य की प्रतिभाओं को उचित अवसर मुहैया कराये जायेंगे। लेकिन सब खाक नजर आ रहा है। हमारे यहाँ प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहाँ की क्रिकेट प्रतिभाएं समय- समय पर दूसरे राज्यों की और पलायन करती रही है। इसका जीता जागता उदाहरण महेंद्र सिंह धोनी जैसे क्रिकेटर हैं। यहाँ की जनता जिनके दिलों में ख्वाब होता है। अपने बच्चों को एक अंतरास्तरीय क्रिकेटर बनाने का।इसके लिए वो धीरे- धीरे दूसरे राज्यों में पलायन करते रहे हैं। उत्तराखंड में कोचिंग क्लब खुले हैं। प्रतिभाएं दिन -रात मेहनत भी करती है।लेकिन क्या फायदा उनकी दिन-रात की मेहनत का जो उनको सिर्फ़ क्लब तक सिमट कर रख देती है।

क्योंकि भारतीय टीम में आपको अगर प्रतिनिधित्व करना है , तो पहले आपको रणजी क्रिकेट में प्रदर्शन करना होता है। तब जाकर आपके प्रदर्शन के बारे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सोचता है। माना की भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड एक नीजी संस्था है। सरकार के दिशा निर्देश यहाँ नहीं चलते । लेकिन राज्य सरकार की तरफ़ से एक कोशिश तो होनी चाहिए। उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए ,की हमें भी राज्य रणजी ट्राफी टीम का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए । लेकिन न तो राज्य के मुख्यमंत्री जी और न ही खेल मंत्री जी को इसकी फ़िक्र है । खेलमंत्री जी तो केवल अपनी राजनितिक गतिविधियों में व्यस्त हैं। उन्होंने आज तक अन्य खेलों के लिए भी एक भी गंभीर प्रयास नहीं किए हैं। उन्होंने तो सुरेंदर भंडारी का नाम भी सुना हो या नहीं सुना हो । जिसने ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व किया था। और जो लगातार देश- विदेश में अच्छा प्रदर्शन कर पदक जीत रहा है। क्योंकि अभी तक न तो इस खिलाड़ी को राज्य सरकार ने पुरस्कृत किया है और न ही इसकी हौसला अफजाई की है। सुन रहे हैं न मुख्यमंत्री जी और खेल मंत्री जी ।

कब तक हमारी प्रतिभाये यूँ ही मटियामेट होती रहेंगी । और कब तक हम यूँ ही दबे- दबे रहेंगे। हमें भी तो हक़ है आगे आने का और आगे बढ़ने का और अपनी चमक से दुनिया को सराबोर करना है।

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