जाने कहाँ किस पथ पर चले जाते हैं वो वीर
Sunday, March 1, 2020
शहीदी दिवस
जाने कहाँ किस पथ पर चले जाते हैं वो वीर
Monday, September 10, 2012
durlabh vichar
दुर्लभ विचार ( व्यंग)
Wednesday, October 26, 2011
Pyaar
डायरी के पन्नों को पलटते हुए एक बार फिर उसकी फोटो नजर आई.
एक बार फिर पुराणी यादों का फ्लाशबैक,
जैसे कल कल की ही बात हो
मोबाइल पे होने वाली रोमांस भरी बातें
दिल पे एक टिस छोड़ गयी
एक बार फिर गहरा दर्द दे गयी वो बातें
दिन भर के काम के बाद शाम को मोबाइल पे ढेर सारी बातें करना
एक अलग ही जोशे जूनून होता था, सारी थकान काफूर
वो पल वो यादें दिल में आज भी संजोये रखी
महसूस होता है बड़ी शिद्दत से, महसूस होता है
एक पल में वो आज ख़ाक हो गया, कहाँ कमी रह गयी………..
न वो झुक पाई, न मैं झुक पाया आखिर क्यों………
मैं दिखने के बाद उससे मिलने का साहस न जुटा पाया
हम ऐसे प्रेमी न बन सके जो उसकी गली में जाके, उसका पता पूछ सके
हम ऐसे प्रेमी न बन सके जो विलेन बन के, उसको अपनी बाँहों में खिंच सके
हम तो बस एक सच्चे दोस्त वाले प्रेमी ही रहे
जो उसके यादों को सिद्दत से दिल में समाये रखे हैं
प्यार में हार इसका अपना ही मजा है
ये आपको ता उम्र कतरनो में मुड़- मुड़ के पुरानी यादों की तरफ खिंच ले जाती है……..
Saturday, July 30, 2011
राजनितिक उठापटक का दौर
भारतीय राजनीती में उथल- पुथल मची है। एक ही नाम है जो भारतीय राजनीती में एक सनसनी की मानिंद अपने विचारों पर अडिग, गाँधीवादी विचारधारा के साथ और नवपरिवर्तन का पुरजोर समर्थक। वो शख्स उम्र के आखिरी पड़ाव में होते हुए भी युवा विचारों से लैस और चाहता है की बूढ़े होते सविंधान में कुछ आमूल चूल परिवर्तन जरुरी है । एक ही तो नाम है अन्ना हजारे। एक जिद जो गाँधी जी में थी और आज वही जिद अन्ना हजारे में भी दिखाई देती है। तरीका वही है अहिंसा का, बस समय का बदलाव है तब गाँधी जी देश की आजादी के लिए लड़े थे और आज अन्ना हजारे ; देश को लूट रहे अपने गध्धारों के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। वक़्त का तकाजा भी है।आजादी के बाद से आज तक देश की बागडोर बीच के ५ से ७ वरसों को छोड़ दिया जाये तो कांग्रेस पार्टी के ही हाथ में रही है। और वो चाहते भी हैं की किसी भी तरह हो शासन हम ही चलायें। उनको फर्क नही पड़ता है देश डूबे या राजनीती करने के लिए किसी भी हथकंडे का इस्तेमाल करना हो वो इसके लिए तैयार बैठे हैं। वो एक प्रजातंत्रीय तरीके से देश नही चला रहे बल्कि वो एक राजा की तरह देश में शासन चलाना चाहते हैं। और सत्ता का केंद्र बिंदु गाँधी परिवार ही तो बन बैठा है। क़ि भैया अब इंदिरा बिटिया है , अब संजय बाबा है वो नहीं तो राजीव भैया और अब नया राग राहुल बाबा। ऐसा लग रहा है जैसे हम सोलहवीं सदी में जी रहे हैं। जैसे हम कस्ट से पीड़ित प्रजा हैं और राहुल बाबा आकर हम गरीबों का उद्धार कर देंगे। इससे घटिया स्तर और भारतीय राजनीती का क्या हो सकता है। हम गुलामी मानसिकता से ग्रस्त भारतीय समाज में जी रहे हैं। इनके लोगों की डिग्रियां उठाओ तो कहीं USA का तमगा है कहीं इंग्लैंड वगैरा- वगैरा। और तब आकर ये फाइव स्टार होटलों से देश के लोगों का भविष्य तय करते हैं। वाह रे गाँधी के देश। करते गलत अपने को हैं और नाम छोड़ जाते गाँधी जी का। ये तो भैया मोड़रेट लोग हैं। कहीं कोई दुर्घटना होती है तो भईया डिजाइनर से तैयार कपडे पहन के ही ये वहां तक आते हैं की किस समय कौन सा सूट मैच करेगा । और यही एक बुधिजीवी वर्ग का भी दृष्टिकोण बन चूका है। कांग्रेस चाहती है की देश जैसा चल रहा है वैसा ही चले कोई हमें परेशान न करे। तो उन्हें भी समझ आ जाना चाहिए की पीढियां बदल चुकी हैं । ये नव भारत है लोग शिक्षित हैं गुलामी मानसिकता अब नही चलने वाली है। और समय के हिसाब से संविधान में परिवर्तन जरुरी है क्यों की ये समय की मांग है। मैं पूरी पार्टी को कटघरे में खड़ा नहीं करना चाहता। अभी वक्त है वो पुरानी भूलों में सुधार करें। देश में बढ़ते करप्शन ,कालेधन जैसे मुद्दों पर निर्भीक और निष्पक्ष निर्णय ले। अगर आज अन्ना हजारे की सिविल सोसाइटी जनलोकपाल जैसा मसौदा ले के आ रही है और पूरे देश की जनता उनके समर्थन में है तो जरुरी है की उनको ले कर चलें ।
नहीं तो समय का क्या है “ इतिहास समय के साथ बदलता रहता है ”।