Wednesday, October 26, 2011

Pyaar

डायरी के पन्नों को पलटते हुए एक बार फिर उसकी फोटो नजर आई.

एक बार फिर पुराणी यादों का फ्लाशबैक,

जैसे कल कल की ही बात हो

मोबाइल पे होने वाली रोमांस भरी बातें

दिल पे एक टिस छोड़ गयी

एक बार फिर गहरा दर्द दे गयी वो बातें

दिन भर के काम के बाद शाम को मोबाइल पे ढेर सारी बातें करना

एक अलग ही जोशे जूनून होता था, सारी थकान काफूर

वो पल वो यादें दिल में आज भी संजोये रखी

महसूस होता है बड़ी शिद्दत से, महसूस होता है

एक पल में वो आज ख़ाक हो गया, कहाँ कमी रह गयी………..

न वो झुक पाई, न मैं झुक पाया आखिर क्यों………

मैं दिखने के बाद उससे मिलने का साहस न जुटा पाया

हम ऐसे प्रेमी न बन सके जो उसकी गली में जाके, उसका पता पूछ सके

हम ऐसे प्रेमी न बन सके जो विलेन बन के, उसको अपनी बाँहों में खिंच सके

हम तो बस एक सच्चे दोस्त वाले प्रेमी ही रहे

जो उसके यादों को सिद्दत से दिल में समाये रखे हैं

प्यार में हार इसका अपना ही मजा है

ये आपको ता उम्र कतरनो में मुड़- मुड़ के पुरानी यादों की तरफ खिंच ले जाती है……..

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